महाभारत हिन्दुओं का एक प्रमुख काव्य ग्रंथ है, जो स्मृतिवर्ग में आता है। कभी कभी केवल "भारत" कहा जाने वाला यह काव्यग्रंथ भारत का अनुपम धार्मिक, पौराणिक,ऐतिहासिक और दार्शनिक ग्रंथ हैं। विश्व का सबसे लंबा यहसाहित्यिक ग्रंथ और महाकाव्य, हिन्दू धर्म के मुख्यतम ग्रंथोंमें से एक है। इस ग्रन्थ को हिन्दू धर्म में पंचम वेद माना जाता है। [1] यद्यपि इसे साहित्य की सबसे अनुपम कृतियों में से एक माना जाता है, किन्तु आज भी यह ग्रंथ प्रत्येक भारतीयके लिये एक अनुकरणीय स्रोत है। यह कृति प्राचीन भारत केइतिहास की एक गाथा है। इसी में हिन्दू धर्म का पवित्रतमग्रंथ भगवद्गीता सन्निहित है। पूरे महाभारत में लगभग १,१०,००० श्लोक हैं [2], जो यूनानी काव्यों इलियड औरओडिसी से परिमाण में दस गुणा अधिक हैं। [3][4]
हिन्दू मान्यताओं, पौराणिक संदर्भो एवं स्वयं महाभारत के अनुसार इस काव्य का रचनाकार वेदव्यास जी को माना जाता है। इस काव्य के रचयिता वेदव्यास जी ने अपने इस अनुपम काव्य में वेदों, वेदांगों और उपनिषदों के गुह्यतम रहस्यों का निरुपण किया हैं। इसके अतिरिक्त इस काव्य मेंन्याय, शिक्षा, चिकित्सा, ज्योतिष, युद्धनीति, योगशास्त्र,अर्थशास्त्र, वास्तुशास्त्र, शिल्पशास्त्र, कामशास्त्र, खगोलविद्यातथा धर्मशास्त्र का भी विस्तार से वर्णन किया गया हैं। [5]
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